3 सितंबर 2023

हो पिता तो - शिवानन्द सिंह 'सहयोगी', मेरठ 03.09.2023

 


हो पिता तो, 

आप भी तो, 

पिता के जैसे रहो |


हो गए इतने बड़े, पर  

पहन कच्छी घूमते हो,

हो न पीते, बात सच, पर    

पागलों-सा झूमते हो,

आपका घर

है, सही, मत  

मन करे वैसे रहो |


दंग आँगन रह गया है,

आपकी इन हरकतों से,

हर समय कुछ बड़बड़ाना,

राख लाना मरघटों से,

माँ बड़ी है,

कुछ न कहती,

'आप मत ऐसे रहो' |


है रसोई में कहाँ क्या? 

देखते, मन हँस रहा है,

आपका हर काम जैसे

साँप ज़हरी डँस रहा है,  

जिस तरह, सब 

रह रहे हैं,

आप भी तैसे रहो |



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